किसानों का आंदोलन और पंजाब भाजपा
पंजाब विधानसभा के चुनाव 2022 को सिर्फ कुछ महीनों का वक्त बचा है। ऐसे में पंजाब भाजपा के हालात यह है कि शिरोमणि अकाली दल बादल से भी गठबंधन टुट चुका है। अब यह कहना भी गलत नही है, कि पंजाब के गाँवों में भाजपा की स्थिति बेहद कमजोर चिन्ताजनक चल रही है। बेहद कमजोर और चिन्ताजनक स्थिति में पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा का कहना है कि हम पंजाब में अपने बलबुते पर पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 लड़े गए और वह भी 117 विधानसभा सीटों पर। ऐसी स्थिति में किसान आंदोलन का तेज़ होना, आने वाले समय में भाजपा को और भी परेशान करेंगा।
बता दे कि केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ पूरे देश में किसान आंदोलन चल रहा है। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में पड़ने वाला है। कयोंकि इस आंदोलन में सबसे बड़ा योगदान पंजाब के किसानों का है। केंद्र की मोदी सरकार तीन कृषि क़ानून वापिस लेने को तैयार नही, जबकि किसान तीन कृषि क़ानून रद्द करवाने पर अड़े हुए है। और इस संघर्ष में मरने वालों की संख्या दिन-प्रतीदिन बढ़ती ही जा रही है, अब तक संघर्ष में मरने वालों की संख्या 70 के करीब पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में पंजाब भाजपा की छवि पंजाब में बेहद खराब चल रही है, जबकि पंंजाब भाजपा का कहना हैं कि 2022 मेें हमारी सरकार पंजाब में आएगी, और वह भी अपनेे बलबुते पर।
पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा का कहना है कि हम आंदोलन से परेशान नहीं है, किसान हमारे भाई है। आंदोलन करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हम सिर्फ उन लोगों से परेशान है जो किसानों के आंदोलन में घुसपैठ करके पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश करना चाहते है। पंजाब भाजपा के सीनियर नेताओं का कहना हैं कि पंजाब में भाजपा अपने दम पर लड़ने में पूरी तरह सक्षम है, और पंजाब में भाजपा की सरकार बनेेंगी।