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पहली रात जेल में जागते रहे, नवजोत सिंह सिद्धू

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पटियाला :- पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने, रोड रेज केस में, एक वर्ष की सज़ा सुनाई गई थी। जिसके तहत सिद्धू को पटियाला कोर्ट में बीती रात सरेंडर करना पड़ा। वह अपने साथ में कपड़ों से भरा बैग लेकर आए और कोर्ट में कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद सिद्धू ने माता कौशल्या अस्पताल में मेडिकल भी करवाया। यहां सिद्धू ने गेहूं से एलर्जी की बात कही है। वहीं उनके पैर में एक बैल्ट भी बंधी है, जिसको लेकर भी उनके मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की गई। बाद में पुलिस उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल लेकर पहुंच गई है। यह वही जेल है, जहां सिद्धू के कट्‌टर विरोधी बिक्रम मजीठिया ड्रग्स केस में बंद हैं। हालांकि सिद्धू कैदी हैं और मजीठिया अभी हवालाती हैं।

बता दें कि कि सिद्धू के वकीलों ने सिद्धू को कोर्ट की सज़ा से बचाने की पूरी-पूरी कोशिश की, लेकिन सिद्धू को बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। सुप्रीम कोर्ट से राहत ना मिलने के बाद, सिद्धू ने किसी से कोई बात नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्यूरेटिव पिटीशन तत्काल सुनने से इनकार कर दिया। सिद्धू के वकीलों को उम्मीद थी कि दोपहर बाद फिर सुप्रीम कोर्ट के आगे अर्जेंट सुनवाई की मांग करेंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई।

सूत्रों अनुसार पटियाला जेल में नवजोत सिंह सिद्धू ने पहली रात सेंट्रल जेल का खाना तक नहीं खाया और सारी रात जागते रहे और जागते हुए ही सारी रात करवटें बदलते रहे। सुरक्षा कर्मियों को भी सिद्धू बेहद परेशान नज़र आएं। आधी रात के बाद सिद्धू भगवान का नाम स्मरण करते नज़र आए और बहुत कम समय के लिए सिद्धू सोय। बेहद गर्मी के मौसम ख़ास करके मई महीने में सिद्धू के लिए बिना एयरकंडीशनर (AC) के रहना बहुत मुश्किल है।

सिद्ध के मीडिया सलाहकार सुरिंदर डल्ला ने कहा कि सिद्धू ने सांकेतिक प्रदर्शन किया था। उनकी सर्जरी हुई है, जिसका अभी ट्रीटमेंट चल रहा है। सिद्धू गेहूं की रोटी नहीं खा सकते, वह स्पेशल डाइट खाते हैं। उनकी लिवर की प्रॉब्लम है। उनके पैर में भी प्रॉब्लम है। इस लिए सिद्धू को Hospital Rest मिलना अति आवश्यक है।

वहीं मृतक गुरनाम सिंह के परिवार ने कहा कि वह इस फैसले से हम संतुष्ट हैं। उनकी बहू परवीन कौर ने कहा कि 34 साल की लड़ाई में कभी उनका मनोबल नहीं टूटा। उन्होंने कभी सिद्धू के क्रिकेटर और नेता के रसूख पर ध्यान नहीं दिया। उनका लक्ष्य सिर्फ सिद्धू को सजा दिलाना था। जिसमें वह कामयाब रहे है।

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