पिछले कुछ दिनों से नार्थ विधान सभा जालंधर में भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक केडी भंडारी चर्चा में चल रहे हैं। चर्चा का मुख्य कारण है कि केडी भंडारी भाजपा में रहेंगे यां भाजपा को अलविदा कहेंगे ?
जब से शिरोमणि अकाली दल बादल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन पंजाब में टूट चुका है, तब से केडी भंडारी मानसिक रूप से कुछ-कुछ परेशान चल रहें हैं। सूत्रो अनुसार 2022 विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के वोट बैंक को कमज़ोर देखतें हुए, केडी भंडारी पार्टी को छोड़ भी सकतें हैं। अब यह बात अपने आप में बहुत बड़ा राजनीति सवाल खड़ा करतीं हैं।
2022 विधानसभा चुनावों को देखते हुए कुछ भाजपा नेताओं ने किसानों का समर्थन करते हुए मोदी सरकार से तीन कृषि क़ानून पर पुनर्विचार का आग्रह भी किया, लेकिन केंद सरकार ने एक ना मानीं। मामला दिन प्रतिदिन बिगड़ाता रहा। तीन कृषि क़ानून के विरोध में 600 के करीब किसानों और मजदूरों को अपनी जानें तक देनी पड़ी (शहीद हुए), लेकिन केंद कीं मोदी सरकार नहीं मानी। पंजाब भाजपा के कुछ सीनियर नेताओं ने किसानों के समर्थन में पार्टी तक छोड़ दी, जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने किसानों का समर्थन किया तों पार्टी ने उसे से छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया। तीन कृषि क़ानून के विरोध में पंजाब के किसानों के धरनों को लेकर भंडारी ने भी जोशी के सुर में सुर मिलाया था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि जोशी के साथ भंडारी का भी शिअद में जाना तय है।
लेकिन जालंधर नार्थ के पूर्व विधायक केडी भंडारी ने कहा कि जोशी का अकाली दल में शामिल होने का उनका निजी फैसला था। उनके फैसले से मेेरा कोई लेना-देना नहीं, भाजपा मेरी माँ पार्टी है और मैं भाजपा में हीं रहूँगा। कुुछ लोग मेरी राजनीतिक छवि खराब करने के लिए ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं। मेरा लोगों से निवेदन है कि ऐसी बातों कीं तरफ़ ध्यान ना दे। बता दें कि केडी भंडारी जालंधर नार्थ हल्के से एक बार पार्षद और दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछली सरकार में उन्हे चीफ पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी का पद मिला था। लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जूनियर अवतार हैनरी से लगभग 33000 मतों से चुनाव हार गए थें।