समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है। वे पुरुष, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें “पुरुष समलिंगी” या गे और जो महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है उसे भी गे कहा जा सकता है लेकिन उसे आमतौर पर “महिला समलिंगी” या लेस्बियन कहा जाता है। जो लोग महिला और पुरुष दोनो के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें “उभयलिंगी” कहा जाता है। कुल मिलाकर समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगो को मिलाकर एल जी बी टी (अंग्रेज़ी: LGBT) समुदाय बनता है। यह कहना कठिन है कि कितने लोग भारत में समलैंगिक हैं। समलैंगिकता का अस्तित्व सभी संस्कृतियों और देशों में पाया गया है।
समलैंगिकता का मुख्य कारण
आधुनिक विज्ञान कहता है कि समलैंगिकता की प्रवृत्ति जन्मजात से होती है। इसमें उस इंसान का या उसके माता-पिता का कोई कसूर नहीं होता।
समलैंगिकता के लक्षण :- ऐसे व्यक्ति जब भी सेक्स से जुड़ी बातें सोचते हैं तो उनके ख्याल में एक समान सेक्स वाला ही लड़का या लड़की आती है। सिर्फ ख्यालों में ही नहीं सपनों में भी।
संमलैगिक व्यक्ति में बदलाव है मुमकिन है यां नही :- ये लक्षण जन्मजात होने के कारण इसमें बदलाव लाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है। ऐसे इंसान के विचारों में बदलाव तभी हो सकता है जब वो इंसान खुद बदलाव चाहे तो, वो भी बिना किसी दबाव के।
भारत के सरकारी आंकड़ों में संमलैगिक जोड़ों की संख्या बहुत कम है। लेकिन गुप्त संमलैगिक जोड़ों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ती जा रही है। जिसका एक यह भी कारण है। पोर्न वीडियो और नशे का अधिक से अधिक सेवन करना और छोटी उम्र में बुरी संगत में पड़ जाना।
यह बताना अति आवश्यक है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा। आपसी सहमति से दो लड़के यां दो लड़कियां क़ानूनंन शादी भी कर सकते है।