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ज्योतिष विद्या में क्या होता है गंडमूल नक्षत्र ?

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ज्योतिष शास्त्रों  के अनुसार ज्योतिष विद्या में 27 नक्षत्रों का वर्णन आया है और प्रत्येक नक्षत्र की अपनी प्रकृति, स्वभाव, गुणधर्म और विशेषता होती है। इन 27 नक्षत्रों में 6 नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहे गए हैं। यानी माना जाता है कि इन छह नक्षत्रों में यदि कोई बच्चा जन्म लेता है, तो 27 दिन पश्चात जब पुनः वही नक्षत्र आता है तो उसकी शांति करवाना पड़ती है। यदि शांति नहीं करवाई जाती है तो वह न केवल उस बच्चे के लिए घातक होता है बल्कि उसके माता-पिता के लिए भी संकटपूर्ण स्थिति बनाता है। लेकिन ज्योतिष के कुछ विद्वानों का मानना है कि छह नक्षत्र गंडमूल होते जरूर हैं लेकिन इनमें जन्म लेने वाले बच्चे में अद्भुत क्षमता होती है। वह मेहनती और संघर्षों के बाद अतुलनीय संपत्ति का स्वामी बनता है।

ज्योतिष विद्या  में अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। ये छह नक्षत्र गंडमूल कहे गए हैं। इनमें यदि कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके पिता को 27 दिन तक बालक का मुख नहीं देखना चाहिए। 27 दिन के बाद पुनः वही नक्षत्र आने पर उसकी मूल शांति कराई जाती है। माना जाता है कि शांति कराने से शिशु एवं परिवार पर से अनिष्ट का भय दूर हो जाता है। मूल शांति में 27 अलग-अलग जगहों के जल और 27 पेड़ों की पत्तियों आदि से मंत्रोच्चार सहित बालक को स्नान कराया जाता है। ग्रहों की शांति के लिए हवन, पूजन आदि का विधान है।

बता दे कि प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते है। पहला, दुसरा, तीसरा और चौथा।

अश्विनी गंंडमूल नक्षत्र :- इसके प्रथम चरण में यदि बालक का जन्म होता है तो पिता के लिए कष्टकारी, द्वितीय चरण में धन का अपव्ययकर्ता, तृतीय चरण में भ्रमणशील और चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाला बालक शारीरिक पीड़ा भोगता है।
आशलेषा गंंडमूल नक्षत्र :- प्रथम नक्षत्र में कोई दोष नही  द्वितीय चरण में पैतृक धन की हानि, तृतीय चरण में परिवार को कष्ट, चतुर्थ चरण में पिता के लिए कष्टकारी और बड़े भाई-बहन को कष्ट।
मघा गंंडमूल नक्षत्र :- प्रथम चरण में मातृपक्ष की हानि, द्वितीय चरण में पिता को परेशानी, तृतीय चरण में शुभफल, चतुर्थ चरण में विद्वान और समृद्ध।
ज्येष्ठा गंंडमूल नक्षत्र :- प्रथम चरण में बड़े भाई-बहन को कष्ट, द्वितीय चरण में छोटे भाई-बहन को कष्ट, तृतीय चरण में पिता को कष्ट, चतुर्थ चरण में स्वयं कष्ट।
मूल गंडमूल नक्षत्र:- प्रथम चरण में पिता को हानि, द्वितीय चरण में माता को हानि, तृतीय चरण में धन का नाश, चतुर्थ चरण में शुभफल।
रेवती गंडमूल नक्षत्र :- केवल चतुर्थ चरण अनिष्टकारी।
बता दें कि अद्भुत क्षमतावान होते हैं ऐसे बालक उपरोक्त छह गंडमूल नक्षत्रों में यदि किसी बालक का जन्म होता है तो वह काफी मेहनती, ज़िदी, हठी और मन मर्जी का मालिक होता है । उसमें किसी भी कार्य को पूर्णता तक पहुंचाने की अद्भुत क्षमता होती है। वह अपनी मेहनत के बल पर उच्च धनी बनता यां फिर पिता की संंपति पर निर्भर रहता है। कभी-कभी जीवन में अत्यंत संघर्ष करने पर भी कामयाबी नहीं मिलती।

बता दे कि  दुसरी वल्ड वार (लड़ाई) का प्रमुख जिम्मेवार एडोलफ हिटलर भी गंडमूल ही था, यहां तक कि कुुुछ लोगों का मानना है कि ओसामा बिन लादेन भी गंडमूल था।

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