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जालंधर में दलबदल नेताओं से जनता हुईं परेशान

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राजनीति में दलबदल शब्द का साधारण शब्दों में अर्थ है कि एक दल से दुसरे दल और दुसरे दल से तीसरे दल में चले जाना, समय-समय पर एक राजनीतिक पार्टी छोड़कर, दुसरी पार्टी में चलें जाना, राजनीति में ऐसे लोगों को “आया राम गया राम” भी कहा जाता है। यह लोग बहुत ही शातिर दिमाग वाले होते हैं, लोक सेवा यां समाज सेवा के नाम पर अक्सर दलबदल करते रहते हैं। दलबदल करने से पहले किसी को कानों-कान खबर तक नहीं होने देते। यह लोग दलबदल केवल और केवल निजी स्वार्थ के लिए करते हैं। लेकिन बातों ही बातों में, लोगों को समझाने कि कोशिश करते हैं कि हमने जो कुछ भी किया है, इसमें हमारी नहीं, जनता की भलाई है।

जिस दल के लिए यह लोग हमसे वोट मांगते हैं, उसी दल को छोड़ने के बाद, उसी दल पर कीचड उछालना शुरू कर देते हैं। यदि कुछ लोग दलबदल लोगों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते हैं तो यह लोग इतने शक्तिशाली होते हैं कि उनकी अकेली-निहत्थी आवाज़ को अपने ब्रह्मास्त्रों “धन-दौलत” से कुचल देते हैं। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे लोगों से जनता अपना पीछा कैसे छुड़ाएं। जहां तक मेरे निजी विचार है कि ऐसे लोगों से पीछा छुड़ाना मुश्किल ही नहीं  नामुमकिन है। क्योंकि यह लोग बहुत ही शातिर दिमाग वाले होते हैं।

यह लोग अपने शातिर दिमाग से हमें जात-बिरादरी, यारी-दोस्ती, भाई-भतीजावाद के चक्कर में फंसाकर, हमें मुर्ख बनाने का प्रयास करते हैं, और अपने प्रयास में लगभग सफल भी होते हैं। इससे पहले कि हम लोग इनकी राजनीतिक चाल को समझ पाएं, यह लोग हमें इस्तेमाल कर चुके होते हैं। मेरा मतलब use and throw, उपयोग करो और फेंक दो। इसी कारण लोग दलबदल लोगों से परेशान हैं। लोगों को समझ नहीं आ रहा कि ऐसे दलबदल लोगों से पीछा कैसे छुड़ाएं ।

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